tag:blogger.com,1999:blog-8897896719659555483.post5313787126227341584..comments2012-01-26T12:02:24.678+05:30Comments on Alrisala Hindi: Love of GodDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8897896719659555483.post-69556999981035618432012-01-22T05:32:46.693+05:302012-01-22T05:32:46.693+05:30GOD LOVES US MORE THN ANYBODY ELSE SO ITS INTELLIG...GOD LOVES US MORE THN ANYBODY ELSE SO ITS INTELLIGENCE AND RIGHT DECISION TO FOLLOW THE PATH OF GOD SELFLESSLY COZ GOD LOVES US AND ONLY HE CAN GUIDE US TO THE RIGHT PATH!! PEACE!! ;)Keertikumar!!!https://www.blogger.com/profile/01250865867931192380noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8897896719659555483.post-28151055577516578632012-01-18T11:25:29.991+05:302012-01-18T11:25:29.991+05:30परमेश्वर ने मानव जाति से प्रेम किया और उसे मार्ग द...<b>परमेश्वर ने मानव जाति से प्रेम किया और उसे मार्ग दिखाया</b><br />@ रोज़ की रोटी ब्लॉग लिखने वाले मेरे प्यारे क्रिश्चियन भाई ! आप ध्यान देते तो समझ लेते कि क़ुरआन में परमेश्वर क्या कह रहा है और किन लोगों से कह रहा है ?<br />लोग अपनी लड़कियों को ज़िंदा गाड़ रहे थे। नशे का आम रिवाज था। आज़ाद लोगों को पकड़ कर ग़ुलाम बना लाते थे और उनसे ज़ालिमाना तरीक़े से काम लिया जाता था। ग़रीब लोग ब्याज पर क़र्ज़ लेकर उसके बोझ में दबकर ज़िंदगी का सुकून खो चुके थे। विधवाओं को पूछने वाला कोई न था। व्यापारी क़ाफ़िलों का रास्तों पर आना जाना मुश्किल था। उन्हें क़त्ल करके उनका माल लूट लिया जाता था। ये लोग अपने बाप हज़रत इबराहीम के तरीक़े को भूल चुके थे। अलग अलग क़बीलों ने अपने अपने अलग अलग देवी देवता बना लिये थे। एक ही बाप की औलाद होने के बावजूद वे अपने अपने क़बीलों को बड़ा बताया करते थे और इसी के झगड़े में एक दूसरे का ख़ून बहाया करते थे।<br />ऐसे लोगों से परमेश्वर ने प्रेम किया और अपने पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद स. को उनके दरम्यान भेजा ताकि वह उन्हें ज़ुल्म ज़्यादती के रास्ते से रोकें जो कि उन्हें परमेश्वर से और इंसानियत से दूर ले जा रहा है। लोगों ने पैग़म्बर साहब पर पत्थर फेंके और इतने फेंके कि उनके जूते उनके बदन के ख़ून से भर कर पैरों से चिपक गए। लोगों ने इकठ्ठे होकर उनके क़त्ल के लिए उनका घर घेर लिया। तब भी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स. ने उनकी तबाही के लिए बददुआ न की और वे मक्का छोड़कर मदीना चले आए। तब दुश्मनों ने मदीना पर चढ़ाई कर दी और बहुत से मुसलमानों को शहीद कर दिया। इसके बाद भी पैग़म्बर साहब ने उनके लिए भलाई के लिए दुआ करना और समझाना नहीं छोड़ा।<br />इसे आप परमेश्वर का प्रेम नहीं कहेंगे क्या ?<br /><br />जब मक्का में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब 10 हज़ार लोगों के साथ दाखि़ल हुए और दुश्मनों को अपने ज़ुल्म याद आए तो उन्हें लगा कि आज हम सब मारे जाएंगे लेकिन तब भी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब ने आम माफ़ी का ऐलान कर दिया। अपने साथियों से भी कह दिया कि दुश्मनों ने तुम्हारी जो ज़मीनें क़ब्ज़ा ली हैं, वे भी उनसे वापस मत लेना। दुनिया के इतिहास में दुश्मनों को ऐसी माफ़ी दिए जाने की कोई मिसाल न तो उससे पहले थी और न ही उसके बाद नज़र आई। <br />क्या आप इसे परमेश्वर का प्रेम नहीं कहेंगे ?<br /><br />यह परमेश्वर का एकतरफ़ा प्रेम है जो वह अपने बंदों से करता है।<br />इसी के साथ बंदे की भी ज़िम्मेदारी है वह परमेश्वर के प्रेम को महसूस करे और उसके दिखाए रास्ते पर चले और ज़ुल्म से बचे। क़ुरआन 2, 165 में यही कहा जा रहा है कि ईश्वर से प्रेम का मतलब ईश्वर के वचन से प्रेम भी है। ईश्वर के वचन को सुनो और पैग़म्बर के बताए तरीक़े से उसका पालन करो।<br /><br /><b>परमेश्वर ने अवज्ञाकारियों पर दंड की आज्ञा ही लगाई है</b><br />हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने भी यही कहा है-<br />जब तुम मेरा कहना नहीं मानते तो क्यों मुझे हे प्रभु, हे प्रभु कहते हो ? (लूका 6, 46)<br /><br />और यह अनन्त दंड भोगेंगे परंतु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे। (मत्ती 25, 46)<br /><br />आपने रोमियों, कुरिंथियों और यूहन्ना से उद्धरण दिया है और हमने आपके सामने मसीह के ही वचन रख दिए हैं। अब आप ख़ुद देख सकते हैं कि आपसे समझने में क्या और कहां ग़लती हुई है ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8897896719659555483.post-65633554621066315582012-01-18T09:00:24.320+05:302012-01-18T09:00:24.320+05:30"यानि कहो, अगर तुम अल्लाह से मुहब्बत करते हो ..."यानि कहो, अगर तुम अल्लाह से मुहब्बत करते हो तो तुम मेरी पैरवी करो। अल्लाह तुमसे मुहब्बत करेगा।"<br />अगर मेरे इसे समझने में गलती हो तो माफ कीजिएगा| <br />मैं तो उस परमेश्वर को जानता और मानता हूँ जो मुझ से मोहब्बत "करेगा" नहीं वरन "करता" है| उसने पहले मुझे से प्यार किया, मेरे पापी और उसके खिलाफ होने की दशा में भी| मेरे लिए अपनी जान कुर्बान करी और आज भी मुझसे बेहिसाब मोहब्बत करता है|<br />चाहे उसके लिए मेरी मोहब्बत कितनी भी कमजोर और छोटी हो, मेरे लिए उसकी मोहब्बत में कोई कमी नहीं आती| जब मैं गुनाहों में उससे दूर हो जाता हूँ, तब भी वो मुझ से प्यार करता है, मेरी बर्दाश्त करता है, मुझे बार बार मेरे पापों और कमजोरियों से निकाल कर फिर से अपने करिब ले आता है, मुझे फिर से पाक और साफ करता है, फिर से अपने करीब करके खड़ा करता है|<br />"परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।" - रोमियों ५:८ <br />"अर्थात परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।" - २ कुरिन्थियों ५:१९<br />"यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।" - १ यूहन्ना १:९Daily Bread-Roz Ki Rotihttps://www.blogger.com/profile/05283806733298996727noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8897896719659555483.post-91977646354704864482012-01-17T21:24:36.595+05:302012-01-17T21:24:36.595+05:30बात यदि समाज की हो , उसके अच्छाई की हो , तो कोई भी...बात यदि समाज की हो , उसके अच्छाई की हो , तो कोई भी काम नेक है , और अल्लाह के हुक्म का तो हम बन्दों को पालन करना ही चाहिए और ये उचित भी है........डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8897896719659555483.post-83043159721385834822012-01-17T20:35:23.241+05:302012-01-17T20:35:23.241+05:30हम मालिक के शुक्रगुज़ार हैं
मालिक चाहता है कि उसके...<b>हम मालिक के शुक्रगुज़ार हैं </b><br />मालिक चाहता है कि उसके बंदे आपस में प्यार मुहब्बत से रहें, शांति से रहें। <br />मौलाना वहीदुददीन ख़ान साहब यही पैग़ाम देते हैं। उनके पैग़ाम से आदमी के अंदर पॉज़िटिव फ़ीलिंग्स बढ़ती हैं और नेगेटिविटी कम होती है। एक अच्छे समाज के लिए ये सभी बातें बुनियादी अहमियत रखती हैं।<br />हम मालिक के शुक्रगुज़ार हैं कि उसने हमें अपना कलाम दिया और उसकी समझ रखने वाले मौलाना जैसे लोग भी दिए।<br /><br />हिंदी ब्लॉगर्स को यह नया ब्लॉग इसी ख्वाहिश के साथ गिफ़्ट किया जा रहा है कि वे मौलाना के पैग़ाम पर ध्यान देंगे और ख़ुद को शांति और सकारात्मकता से भर लेंगे।<br /><br />शुभकामनाएं !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com